Monika garg

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लेखिनी 15 पार्ट सीरीज प्रतियोगिता # सती बहू(भाग:-11)

गतांक से आगे:- 


हरिया इतनी जोर से चिल्ला रहा था कि चंदा का चक्कर खाकर गिरना किसी को याद नहीं रहा चचिया सास भी हरिया की तरफ लपकी कि जरूर कोई बड़ी बात हो गई है गांव में ,जो हरिया इस कदर घबराया हुआ है।

तभी हांफता हुआ हरिया आंगन में बैठ गया ।ठाकुर साहब बाहर आये और आते ही बोले," ऐसी क्या आग लग गई गांव में जो इस तरह से चिल्ला रहे हो ।"

हरिया ने लम्बी सांस ली और फिर बोला," सब सत्यानाश हो गया बड़े ठाकुर के यहां ‌। वो जो नया पुल बना रहे थे ना नदी पर आज उसका मुहरत था इतने सारे मेहमान आते थे बड़े ठाकुर और ठकुराइन भी पुल के नीचे बने मंच पर बैठे थे और पुल भर-भरा कर गिर गया।मंच पर बैठे जितने भी लोग थे वो सब खत्म हो गये।"

चंदा के चाचा ससुर को ये तो पता था बड़े भाईसाहब आज पुल का अनावरण करवा रहे थे शहर से बड़े बड़े लोग आये थे क्योंकि भाईसाहब की सारी जमापूंजी इस पुल को बनाने में लग गयी थी ठेका ही इतना बड़ा था कि हवेली और बाकी की जमीन रहन पर रखकर रकम इकठ्ठा की थी ।सोचा तो ये था कि एक बार सरकारी काम में पैसा जी खोल कर लगा देगे बाद में जब मुनाफा आयेगा तो खूब मोटा मुनाफा आयेगा पर होनी को कुछ और ही मंजूर था ,कल के जागीरदार कहलाने वाले आज सड़क पर आ गये थे ।अपने बड़े भाई और भाभी की मौत कई खबर सुनकर चंदा के ससुर बिलख पड़े

"हाय राम ! ये क्या खबर ले आया हरिया सारा खानदान ही खत्म हो गया । विशम्बर तो ना होने जैसा ही था ।भले ही बड़े भाई बात नहीं करते थे मुझ से पर यूं तो था कि हमारे ऊपर भी हाथ है किसी बड़े का ।अब मैं तो अकेला ही रह गया ।मुझे पता है चंदा बहू को इन लोगों ने तंग किया था, अपने  निकम्मे,नाकारा बेटे को पल्ले बांध दिया था उस पर भी नहीं टिके ये लोग उसे बांझ घोषित कर के घर से निकाल दिया। मुझे पता है चंदा बहू का ही श्राप लगा है इन लोगों को ।"


जैसे ही चंदा का नाम चाचा ससुर ने लिया तभी चचिया सास को याद आया कि वह तो चंदा के धड़ाम से गिरने के कारण बाहर की ओर भागी थी ।वो पलटी तो देखा चंदा अभी भी बेहोश पड़ी थी वह उसकी ओर लपकी । बूढ़ी थी ,पहले जमाने में बूढ़ी औरते नब्ज देखकर ही मर्ज बढ़ता देती थी ।जैसे ही चचिया सास ने चंदा का हाथ पकड़ा और नब्ज टटोली तो एकदम से उसे झटका सा लगा।

" ये क्या……. बहूरिया तो…. पेट से है।"

वह फटाफट लाठी टेकती हुए पानी का लोटा लाई और चंदा के मुख पर पानी के छींटें मारे तो उसे होश आया।वह सकपका कर उठ बैठी और बोली," पता नहीं चाची जी ,कैसे चक्कर आ गया ।मैं तो अच्छी भली कपड़े सुखा रही थी।"

चंदा की चचिया सास उसे एकटक निहार रही थी ।

" ये भी कितनी भामरी है ,जिस चीज के लिए सालों तरसती रही , लोगों के ताने सुने,पति होते हुए भी घर से निकाली गई।आज वह दुनिया की सबसे बड़ी खुशी अपनी झोली में लिए बैठी है और पगली को पता ही नहीं।"

उसने चंदा को सहारा दिया और उसकी कोठरी में आराम करनूल के लिए छोड़ आई।

वापस आकर ठाकुर साहब के कान में फुसफुसाई कि चंदा पेट से है ।

बस यही पर एक ग़लती ठाकुर से हो गई जैसे ही चचिया सास ने फुसफुसाया वो जोर से बोल पड़े

"क्या…….? बहूरिया पेट से है।"

तभी चंदा की चचिया सास ने इशारें से धीरे बोलने को कहा लेकिन कहते हैं ना दीवारों के भी कान होते हैं ।बैठक में बैठे ठाकुर की बात बाहर आंगन में बैठे हरिया ने सुन ली ।उसने सारा तमाशा देख तो लिया था कि कैसे ठकुराइन चंदा को उठा कर उसके कमरे में सहज सहज ले जा रही थी। हरिया ने दोनों हाथ जोड़कर ऊपर आंखें उठा कर भगवान का धन्यवाद किया 

"धन्यवाद है मेरे राम जी , बेचारी ने बहुत दुःख सहन किये है चलो बांझ का कलंक तो हटा बेचारी पर से ।"

हरिया उठा और बाहर चल दिया ।थोड़ी ही देर में ठाकुर और ठकुराइन दोनों ही हवेली पहुंच गये वहां पर हाय हल्ला मचा हुआ था । विशम्बर का तो ये लो कर बुरा हाल हो गया था ।वह माता पिता के जाने क्यूं दुःख से कम और जमीन जायदाद और पैसा चले जाने के दुःख से ज्यादा दुःखी था ।शाम तक दोनों को मुखाग्नि दे दी गई। श्मशान से लौटते वक्त हरिया भी और लोगों के हुजूम के साथ चल रहा था उसने भी तैश में आकर कह दिया ," भाई जो जैसा बोये गा वो वैसा ही पायेगा।अब बड़े ठाकुर और ठकुराइन ने बएचआश्रई चंदा भौजाई के साथ क्या कुछ नहीं किया आज उसी का खामियाजा भुगत रहे हैं ये लोग। कहते हैं कोई कितना कह लें बांझ बांझ लेकिन चंदा भौजाई ने पेट से होकर ये साबित कर दिया कि वे बांझ नहीं है ।उसकी लाठी में आवाज नहीं है।"

उन लोगों के हुजूम मे विशम्बर के आदमी भी थे ।जब उन्होंने ये बात सुनी तो उन्होंने तुरंत जाकर विशम्बर को ये बात बता दी।बस फिर क्या था विशम्बर का खून खौल गया।अभी अभी अपने मां बापू को मुखाग्नि देकर आ रहा था फिर सारा धन हाथ से चला गया और अब ये चंदा की बात सुन ली उसने वह तो जैसे पागल सा हो गया और चंदा को मारने की पूरी कोशिश में लग गया ।

उसे ये भी डर था कि अगर चंदा के गर्भ से होने का पता गांव वालों को हो गया तो सभी गांव वालों को पता चल जाएगा कि वह नामर्द है ।


अब चंदा का क्या होगा क्या विशम्बर उसे खत्म कर देगा , श्याम को जब पता चलेगा तो वो क्या करेगा ये सब जानने के लिए अगले भाग का इंतजार करे…..

(क्रमशः)


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4 Comments

HARSHADA GOSAVI

15-Aug-2023 12:55 PM

Nice

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Alka jain

27-Jun-2023 07:51 PM

Nice

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Shnaya

27-Jun-2023 06:45 PM

Nice one

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